इन देशों में बन चुका है कानून..........................
ओटीपी से लेते हैं जानकारी
एप की सहायता लेने के बदले फोटो, वीडियो, कॉन्टेक्ट लिस्ट, एसएमएस जैसी जानकारी भी साझा करनी पड़ती है। साथ ही मोबाइल पर आए ओटीपी को भी ये पढ़ लेते हैं, जिस कारण यूजर के एसएमएस की जानकारी भी एप के पास चली जाती है।
कानून बनने में लगेंगे इतने माह
डाटा प्रोटेक्शन एक्ट पर सरकार नवंबर में श्वेत पत्र जारी कर चुकी है। अधिकारियों के मुताबिक इस साल शीत सत्र में कानून लाने की पूरी कोशिश की जाएगी।
इन देशों में बन चुका है कानून
-यूरेप : डाटा प्रोटेक्शन डायरेक्टिव कानून
-न्यूजीलैंड : प्राइवेसी एक्ट 1993
-जापान : प्रोटेक्शन ऑफ पर्सनल इन्फॉर्मेशन एक्ट
-दक्षिण अफ्रीका : प्राइवेसी एंड डाटा प्रोटेक्शन एक्ट 2006
-अमेरिका : फेडरल ट्रेड कमीशन 1998 के अंतर्गत है डाटा प्रोटेक्शन का नियम
-चीन : साइबर कानून के अंतर्गत डाटा और प्राइवेसी
इस तरह देते हैं यूजर अपना डाटा
एप इन्सटॉल करते वक्त वह फोटो, एसएमएस, कॉन्टेक्टस का डाटा मांगता है जो कि एप डाउनलोड करते वक्त लिखा भी होता है। फिर वह यूजर के मोबाइल से अपने सर्वर को कनेक्ट करता है। विशेषज्ञों के मुताबिक 1 फीसदी से भी कम यूजर पॉलिसी को पढ़ते हैं।
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